प्रिय पाठकों, इस ब्लॉग में आपका आत्मीय अभिनंदन है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाएं मेरी स्वरचित साहित्य साधना हैं। मेरी रचनाओं के प्रति आपका प्रेम मुझे सदैव प्रेरित करता है।
फ़रवरी 26, 2017
फ़रवरी 25, 2017
नजरों से सीखा देना आशिक़ी
नजरों से सीखा देना आशिकी, इनमें शोखियाँ बहुत हैं,
इस दिल को समझा देना तुम, इसमें बेकरारियाँ बहुत हैं।
नजरों में डूब न जाऊँ, बेकरारी में बेखबर न हो जाऊँ,
होश कहीं उड़ न जाये तेरी चाहतों में बेहोशियाँ बहुत हैं।
ज़ुल्फ़ों में छुपा लेना, आँचल से सहला जाना मुझको तुम,
जी भरकर बातें कर जाना, मुझमें तेरी ख्वाहिशियां बहुत हैं।
राहे इश्क में जहाँ-जहाँ तेरी, आँचल लहराई थी ज़मी पर,
उन राहों में तेरी यादों की मेरे, इंतज़ार की बस्तियां बहुत हैं।
सादगी श्रृंगार सजा जाना, मेरे गुलशन में वीरानियाँ बहुत हैं।
नजरों से सीखा देना आशिकी, इनमें शोखियाँ बहुत हैं।
-:दाता राम नायक DR
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