मंगलवार, 30 जून 2020

नींदानाशक 2-4-D का सही विकल्प

सँकरी और चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों का रासायनिक नियंत्रण एवं 2-4-D का विकल्प
                                
आज हम धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण में सर्वाधिक उपयोग होने वाले दो रसायनों के बारे में बात करेंगे। ये दोनों रसायन कम कीमत पर उपलब्ध होने के कारण किसानों में काफी लोकप्रिय रहे। किसान भाई इसका उपयोग वर्षों से करते आ रहे हैं। जब बिसपायरीबैक सोडियम आया  नहीं था उस समय इसका उपयोग प्रायः सभी किसानों ने किया ही होगा। ये कोई नई दवा या रसायन नहीं है जिनका प्रचार प्रसार किया जाये, बस इनके उपयोग विधि जानने की थोड़ी सी आवश्यकता है जिससे इनका अधिकतम लाभ लिया जा सके। ये रसायन हैं "फेनॉक्सप्रोप-पी-एथिल और 2-4-D" जिन्हें किसान भाई "व्हिप सुपर और वीडमार" के नाम से अधिक जानते हैं। है तो ये निजी कंपनी के उत्पाद के नाम लेकिन लोकप्रिय इतने हैं कि इनके नाम से ही किसान जान लेते हैं कि ये किन किन खरपतवारों को नियंत्रित करते हैं। "चूंकि 2-4-D को प्रतिबंधित कर दिया गया है, इसलिए इसके विकल्प पर विचार करेंगे।" हम जानेंगे कि इनका सही उपयोग कैसे करें क्योंकि ये कम दर पर उपलब्ध तो होते ही हैं लेकिन इनके गलत उपयोग से फसलों पर साइड इफेक्ट्स भी पड़ते हैं:-

1. फेनॉक्सप्रोप-पी-एथिल 9% EC :-
                                             यह एक सेलेक्टिव खरपतवार नाशक रसायन है जो "सांवा प्रजाति" के घासों को नियंत्रित करता है। यह सभी सँकरी पत्ती वाले खरपतवारों के रासायनिक नियंत्रण के लिए प्रभावी है। इसका प्रयोग अंकुरण पश्चात किया जाता है। इसे घासों के पत्ती और तनों द्वारा बहुत शीघ्रता से अवशोषित कर लिया जाता है। यही कारण है कि इसका प्रयोग अधिकाधिक किया जाता है क्योंकि इसके छिड़काव के कुछ घंटों बाद बरसात होने से भी रसायन के धुलने की आशंका बहुत कम हो जाती है। इसका प्रयोग घासों के कुछ बड़े हो जाने के बाद भी करने से यह कारगर रहता है। आमतौर पर इसका प्रयोग फसल के एक से डेढ़ माह होने पर किया जाता है। 350 ml प्रति एकड़ के हिसाब से इसका प्रयोग किया जाता है। इसके प्रयोग करते समय खेतों में पानी भरा रहना चाहिए। इसके अनुशंसित मात्रा से अधिक मात्रा का इस्तेमाल बिल्कुल नही होना चाहिए। कभी कभी यह पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जिसे स्थानीय भाषा मे धान का बैठ जाना कहते हैं। यदि ऐसा लक्षण दिखाई दे तो 3 से 5 दिन पश्चात धान में यूरिया का छिड़काव करें। इसलिए इस रसायन को प्रयोग करते समय विशेष ध्यान रखी जाती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उसका उपयोग करने से पहले चौड़ी पत्ती के खरपतवारनाशियों का प्रयोग कर लें। आमतौर पर इसे चौड़ी पत्ती के खरपतवारनाशियों के साथ इसका मिश्रण कर दिया जाता है जिससे पौधों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कृपया इससे बचें।

2. 2-4-D का उचित विकल्प :-
                                      "यह रसायन पर्यावरण पर बहुत अधिक दुष्प्रभाव डालता है, इस कारण इसे सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है।" इस दवा का उपयोग पूर्व में बहुत अधिक किया जाता था। इसका प्रयोग चौड़ी पत्ती के खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता था। इसके दुष्प्रभावों को देखते हुए इसका प्रयोग न करना ही समझदारी है। इसलिए सभी किसान भाइयों से निवेदन है कि 2-4-D रसायन को न ही क्रय करें, न ही विक्रय। इसके उपयोग से बचें। मृदा स्वास्थ्य एवं मानव स्वास्थ्य के अतिरिक्त यह हमारे फसलों के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। यह उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता था इस कारण इसका उपयोग नही करना चाहिए।
                                                   "चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए किसान भाई दूसरे रसायनों का भी सीमित उपयोग कर सकते हैं। 2-4-D के स्थान किसान भाई सायहलोफोप-बुटाइल, कारफेन्ट्राजोन इथाइल 40℅, मेटसलफ्यूरान इथाइल 10% + क्लोरोमुरान इथाइल इत्यादि रसायनों का प्रयोग अनुशंसित मात्रा में कर सकते हैं।" इनके प्रयोग करते समय पानी का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इनके उपयोग हेतु खेत में पर्याप्त पानी रहनी चाहिए। इनके साथ अन्य रसायनों को मिलाकर प्रयोग न करें।
                                           अंत में किसान भाइयों से निवेदन है कि सही दवा का चुनाव करें, सही कीमत पर खरीदें, अनावश्यक महंगे दवाओं से बचकर लागत कम करें, विश्वसनीय केंद्र से खरीदें। अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें। विश्वव्यापी कोरोना महामारी से बचने हेतु आवश्यक सावधानी बरतें। खेत मे पूरे समय साबुन/सैनिटाइजर साथ रखें। खुद मास्क पहनें, मजदूरों को भी पहनाएँ। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

             "सावधानी से खेती करें-सुरक्षित रहें"
              
                     -: दाता राम नायक
             ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
          क्षेत्र:- कुसमरा, विख. व जि.-रायगढ़

                              

रविवार, 28 जून 2020

नींदानाशक बिसपायरीबैक सोडियम की प्रयोग विधि

धान की फसल में प्रभावी खरपतवारनाशी "बिसपायरिकबैक सोडियम (Bispyriback Sodium 10% SC)" 

छत्तीसगढ़ में खरीफ फसलों में धान का स्थान महत्वपूर्ण है।  छत्तीसगढ़ की जलवायु एवं मौसम धान के लिए सबसे अधिक उपयुक्त होने के कारण यहाँ अन्य फसलों की अपेक्षा धान बहुतायत रूप में लगाया जाता है। यहाँ के किसानों के लिए धान की खेती मुख्य है या फिर ये कहें कि यहाँ की खरीफ खेती धान के ही चारों ओर घूमती है। सम्भवतः इसलिए छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। चूँकि धान हमारे लिए महत्वपूर्ण फसल है इसलिए इसकी सुरक्षा व्यवस्था भी महत्वपूर्ण हो जाती है। खेत की जुताई से लेकर फसल के उचित विपणन तक इसकी विशेष देखभाल करनी पड़ती है।
                               वर्तमान में धान की बुवाई चल रही है। रोपा लगाने हेतु नर्सरी डाला जा चुका है। पानी की उपलब्धता को देखते हुए लेही भी की जा रही है। बुवाई के पश्चात धान को सुरक्षित रखने का क्रम प्रारम्भ हो जाएगा। इसी क्रम में सबसे पहले हम अपने फसल को खरपतवारों से सुरक्षित रखने की जतन करेंगे। इस कड़ी में हम सभी कई तरह के रासायनिक दवाओं का प्रयोग छिड़काव या बुरकाव के रूप में करते हैं। लेकिन सही दवा का चुनाव एवं उनके असावधानी पूर्वक प्रयोग से हम दवाओं के शत प्रतिशत दक्षता का उपयोग नही कर पाते हैं। आज बात करेंगे धान के प्रमुख खरपतवारनाशी "बिसपायरीबैक सोडियम" के संबंध में।
                                  "बिसपायरीबैक सोडियम" विगत कुछ वर्षों में बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ है। इसका प्रयोग आज लगभग प्रत्येक किसान करते हैं। लेकिन इसके सही प्रयोग करने की विधि से परिचित नही होने के कारण इसका शत प्रतिशत लाभ हम नही ले पाते। यह अंकुरण पश्चात प्रयोग की जाने वाली रसायन है। यह पर्यावरण विषाक्तता अर्थात पर्यावरण को नुकसान पहुँचाने वाला रसायन नही है। पर्यावरण के प्रति अनुकूल है। यह कई प्रकार के चौड़ी तथा सँकरी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करती है। धान की फसल के ऊपर प्रतिकूल प्रभाव नही डालती है। यह कई व्यापारिक नामों से आती है, जैसे:- शील्ड, ड्राई अप, तारक, अडोरा, नॉमिनी गोल्ड, ग्रीन लेबल इत्यादि।


          कैसे प्रयोग करें बिसपायरीबैक सोडियम?
    

इसका प्रयोग करते समय निम्न बातों को ध्यान देना होगा और अमल करना होगा, तभी हम इसका शत प्रतिशत उपयोग कर सकते हैं जिससे यह और भी प्रभावी हो सके:-
★ इसका प्रयोग 80 से 100 ml प्रति एकड़ की दर से किया जाना चाहिए।
★ इसका प्रयोग खरपतवारों के चौथे पत्ती के आने से लेकर टीलेरिंग स्टेज तक किया जा सकता है। लेकिन सबसे प्रभावी समय खरपतवारों के 3 से 5 पत्ती होने का समय है। इस समय इसका प्रयोग करें।
★ प्रयोग करते समय खेत में रुका हुआ नहीं होना चाहिए। कम से कम पानी खेत में हो इसका विशेष ध्यान रखा जाय। जहाँ तक संभव हो खेत मे पानी न हो।
★ छिड़काव करने के 48 घंटे बाद खेत में पानी भरकर एक सप्ताह तक रखें। ऐसा करने से पहला तो ये की खरपतवारों पर प्रभाव डालने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है, कम पानी की उपस्थिति में। दूसरा 48 घंटे बाद हप्ते भर पानी भरे रहने से खरपतवार उठ नहीं पाते और इसका शत प्रतिशत उपयोग होता है।
★ छिड़काव के 5 से 6 घण्टे पश्चात यदि वर्षा होती है तब तक यह पत्तियों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
★200 लीटर पानी प्रति एकड़ उपयोग करें।

                    क्या नही करना चाहिए?

बिसपायरीबैक सोडियम प्रयोग करते समय निम्न सावधानी रखें एवं इनसे बचें:-
★ बारिश होते समय प्रयोग न करें।
★यदि लगता है कि 5 से 6 घंटे के भीतर वर्षा हो सकती तब इसके प्रयोग से बचें।
★ इसके साथ कॉपर और सल्फर बेस रसायन नही मिलाना चाहिए। किसी भी प्रकार का रसायन मिलाने से उसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी ले लेना चाहिए।
★प्रयोग करते समय खेत में पानी नहीं होना चाहिए।
★रेत या खाद में मिलाकर प्रयोग न करें।
★ अनुशंसित मात्रा से अधिक प्रयोग न करें।
★ अन्य रसायन मिलाने से पहले अच्छी जानकारी रखें।

                    अंत में किसान भाइयों से निवेदन है कि सही दवा का चुनाव करें, सही कीमत पर खरीदें, अनावश्यक महंगे दवाओं से बचकर लागत कम करें, विश्वसनीय केंद्र से खरीदें। अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें। विश्वव्यापी कोरोना महामारी से बचने हेतु आवश्यक सावधानी बरतें। खेत मे पूरे समय साबुन/सैनिटाइजर साथ रखें। खुद मास्क पहनें, मजदूरों को भी पहनाएँ। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

         "सावधानी से खेती करें  - सुरक्षित रहें"

                     -: दाता राम नायक
            ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
        क्षेत्र:- कुसमरा, विख. व जि.-रायगढ़

मेरे मृत्युंजय

 कर दिया है मैने अपना सारा जीवन तेरे चरणों में अर्पण मुझे किसका लागे डर? अब किसका लागे भय? मेरे मृत्युंजय मेरे मृत्युंजय.... मेरा रास्ता भी ...