मंगलवार, 7 जुलाई 2020

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की संक्षिप्त जानकारी

                   प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

बीमा का नाम सुनते ही अक्सर लोगों के नाक सिकुड़ने लग जाते हैं। संभवतः बीमा को हमारे देश में एक प्रकार की विवशता समझी गयी, आवश्यकता नहीं। लोगों में मानवीय देह की बीमा में रुचि तो है लेकिन वह भी एक प्रकार से पैसों की बचत करने के दृष्टिकोण से लेकिन इसके अलावा अन्य बीमाओं पर अनेक लोगों में विवशता ही देखी जा सकती है। जैसे हम मोटरसाइकिल, मोटर कार, ट्रैक्टर्स आदि का बीमा सुरक्षा हेतु कम, चालान कटने के डर से अधिक करवाते हैं। तात्पर्य तो यही हुआ कि हमने बीमा को समझा ही नहीं। बीमा विवशता नहीं है, बीमा जिम्मेदारी है। कैसे? आइये सबसे पहले बीमा शब्द को जानते हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का विवरण

जिलेवार बीमित राशि एवं किसान द्वारा देय प्रीमियम

बीमा:- 
       बीमा शब्द का अभिप्राय है "जिम्मेदारी लेना"। यह फ़ारसी से आया हुआ शब्द है। डॉ. रघुवीर ने इसका अनुवाद बताया - आगोप (insurance)। बीमा वह साधन है जिसमें एक निर्धारित शुल्क (बीमा राशि, प्रीमियम) देकर हानि का जोखिम सामने वाले पर डाल दिया जाता है। भविष्य में यदि हानि होती है तो उसकी क्षतिपूर्ति बीमा करवाने वाले को बीमा करने वाले द्वारा धनराशि (बीमित राशि) के रूप में की जाती है। अर्थात हानि की जिम्मेदारी बीमा करने वाले पर आ जाती है। यह क्षतिपूर्ति हानि पर देय होती है। प्रायः बीमा करने वाली कोई कंपनी होती है जो क्षतिपूर्ति देने में सक्षम हो। जैसे यदि किसी वाहन का बीमा करवाया जाता है तो भविष्य में यदि दुर्घटना होने पर हानि के स्तर पर क्षतिपूर्ति कंपनी द्वारा दी जाती है। इसके विपरीत यदि निश्चित समयावधि पर हानि नही होती है तो देय शुल्क कंपनी की हो जाती है। इस तरह बीमा एक प्रकार का सहयोग है। इस तरह बीमा करवा कर हानि की जोखिम से बचा जा सकता है। बीमा करवाने वालों में जोखिम की संभावना अधिक होती है लेकिन निश्चित समयावधि में हानि बहुत कम का ही होता है।
आवेदन फार्म



फसल बीमा:- 
                 फसलों की बीमा पर चर्चा करने से पहले एक निजी विचार रखना चाहूँगा कि हमारे देश में निःशुल्क बाँटने की एक परिपाटी चल गयी है जिससे हम सरकारों से सभी योजनाओं पर, वस्तुओं पर अनुदान की अभिलाषा करने लग गये हैं। यह कड़वा सच है कि अनुदान हमें आलसी बनाते जा रही है। कहने का कारण यही है कि जब जब फसल बीमा की बात होती है तब तब एक ही बात निकलकर आती है कि फसल बीमा से हमें कितना लाभ होगा? फसल बीमा से हमेशा हमारा ही पैसा जाता है। किंतु मैं यह समझाने का प्रयास कर रहा हूँ कि जिस फसल के लिए हम हजारों रुपये लागत के रूप में खर्च करते हैं क्या उसी फसल के लिए कुछ सैकड़े बीमा कवर नहीं कर सकते? कर सकते हैं, जरूर कर सकते हैं, लेकिन फसल बीमा को हमारी विवशता नहीं आवश्यकता बनाना होगा। हम कभी नही चाहेंगे कि हमारी फसलों को कोई क्षति पहुँचे। लेकिन खेती मौसम पर आधारित होती है, प्रकृति पर आधारित होती है। क्या पता कब क्या प्राकृतिक आपदा आ जाये ? क्या पता कब कौन सा रोग, कीट-व्याधि पूरी फसल चौपट कर जाये? क्या पता कब सूखा पड़ जाये? कौन जानता है भविष्य को? भगवान न करे ऐसा हो, लेकिन हैं तो प्राकृतिक आपदाएं, पूछ कर तो नहीं आती। ऐसे विषम परिस्थितियों में यदि हमारे पास फसल बीमा हो तो सारे जोखिमों से हुई हानि की क्षतिपूर्ति हो सकती है। इसी विषम परिस्थिति के लिए बनी है ये "प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना।" ये प्राकृतिक विपदाएं हर साल नहीं आती जो हमे बीमा का लाभ हमें साल मिल जाये। विपदाएं तो दशकों-दशक में एकाध बार आती हैं लेकिन एक वर्ष की विपदा से उबरने में हमें दशक लग जाते हैं। इसलिए हम सबको अपने-अपने फसलों का बीमा आवश्यक रूप से करानी चाहिए।

★ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2020 है।
★ सिंचित क्षेत्र हेतु प्रीमियम 840 रुपये प्रति हेक्टेयर एवम असिंचित क्षेत्र हेतु 640 रुपये प्रति हेक्टेयर है।
★किसानों को कुल प्रीमियम के केवल 2% प्रीमियम ही देना होगा। शेष प्रीमियम शासन वहन करेगी।
★अपने सम्बन्धित बैंक के अतिरिक्त कृषक CSC से भी बीमा करा सकते हैं।
★ऋणी कृषकों यदि बीमा से मुक्त रहना चाहते हैं तो उन्हें को सम्बंधित बैंक में घोषणा प्रस्तुत करना होगा। यह घोषणा 10 जुलाई तक जमा किया जा सकता है।
★ प्रति हेक्टेयर जितना ऋणमान निर्धारित है बीमा उतने राशि का ही होगा।
★रायगढ़ जिले में सिंचित क्षेत्र हेतु 42000 एवं असिंचित क्षेत्र हेतु 32000 प्रति हेक्टेयर ऋणमान निर्धारित है।
★किसी भी प्रकार की क्षति या प्राकृतिक आपदा होने पर कृषकों को कृषि विभाग, राजस्व विभाग एवं बीमा कंपनी को 72 घंटे के भीतर सूचित करना अनिवार्य होगा।
★अकाल, सूखा इत्यादि का निर्धारण अनावरी रिपोर्ट के आधार के किया जाता है। जो कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग ग्राम इकाई में करती है।
बुआई प्रमाण पत्र


आवश्यक दस्तावेज:- 

1. आधार कार्ड की छायाप्रति,
2. बैंक पासबुक की छायाप्रति,
3. ऋण पुस्तिका या खसरा-बी वन,
4. फसल बुआई प्रमाण पत्र (ग्रा.कृ.वि.अधि. द्वारा सत्यापित)

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में अधिक जानकारी हेतु अपने संबंधित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क करें।

कोरोना महामारी से बचने हेतु आवश्यक सावधानी बरतें। खेत मे पूरे समय साबुन/सैनिटाइजर साथ रखें। खुद मास्क पहनें, मजदूरों को भी पहनाएँ। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।

             "सावधानी से खेती करें-सुरक्षित रहें"

【नोट:- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के संबंध में यह लेख लेखक की निजी अभिव्यक्ति है, लिखने का उद्देश्य बीमा के संबंध में जानकारी प्रदाय करना है न कि बीमा कंपनी का व्यक्तिगत प्रचार-प्रसार करना】

                       -: दाता राम नायक
               ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
            क्षेत्र:- कुसमरा, विख. व जि.-रायगढ़

सोमवार, 6 जुलाई 2020

धान के लिए कुछ महत्वपूर्ण खरपतवारनाशी


धान के फसल में उपयोग होने वाले प्रमुख खरपतवार नाशी


मित्रों पूर्व में ब्लॉग पोस्ट में हमने चर्चा किया धान में उपयोग होने वाले लोकप्रिय खरपतवार नाशियों के विषय में कि इनका सही उपयोग किस तरह से किया जाये। इसी कड़ी में आज हम चर्चा करने का प्रयास करेंगे धान में उपयोग होने वाले उन सभी खरपतवार नाशकों के विषय में जो काफी प्रचलित हैं, जो काफी कारगर हैं। चूँकि जुलाई का प्रथम सप्ताह निकलने वाला है और इस वर्ष मानसून भी सही समय पर आ गया था जिससे धान की खुर्रा बुआई को अंकुरित हुए 20 दिन होने को आ गये जो समय है खेती में खरपतवारों को साफ करने का।
                                                   सबसे पहले हम चौड़ी पत्तियों वाले खरपतवार नाशियों के बारे में बात करेंगे क्योंकि इनका प्रयोग पहले किया जाना चाहिए:-



1. बेनसलफुरान मिथाइल (Bensulfuron Methyl) - 100gm/hectare
चौड़ी पत्ती एवं सायप्रेसि कुल के घास, एक वर्षीय व बहुवर्षीय खरपतवारों हेतु।
2. हलोसलफुरान (Halosulfuron) - 150gm/hectare
चौड़ी पत्ती एवं सायप्रेसि कुल के घास, एक वर्षीय व बहुवर्षीय खरपतवारों हेतु।
3. एथोक्सिसलफामुरान (Ethoxys ulfuron) - 100gm/hectare
चौड़ी पत्ती एवं सायप्रेसि व जलकुंभी वर्ग के खरपतवार हेतु।
4. कारफेन्ट्राजोन-एथिल  (CARFENTRAZONE-ETHYL) :- 50gm/hectare
यह 2-4-D का बहुत अच्छा विकल्प है। एक वर्षीय बहुवर्षीय खरपतवारों के रोकथाम हेतु प्रयोग करें।
5. सायहलोफोप-बुटाइल (CYHALOFOP-BUTYLE) - 1 लीटर/hectare
कन्द वाले खरपतवारों हेतु, चौड़ी पत्ती हेतु उपयोगी, जलीय वर्ग के लिए कारगर।
6. इमाजोसलफुरान (imazosulfuron):- यह अत्यधिक जहरीला है। इसका प्रयोग टर्फग्रासेस के लिए किया जाता है। कठोर ताने वाले खरपतवारों की नियंत्रण हेतु।
7. मेटसलफ्यूरान इथाइल  + क्लोरोमुरान इथाइल - 20gm/hectare
पर्यावरणीय प्रदूषण से रहित चौड़ी पत्ती के खरपतवारों हेतु, बिसपायरीबक सोडियम के साथ मिलने योग्य रसायन है।
8. ऑक्सीफ्लोरफेन- 0.15 से 0.25 सक्रिय तत्व/hectare


ये सभी चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के साथ जलीय खरपतवारों जैसे जलकुंभी वर्ग को भी नष्ट करते हैं। कन्द वाले खरपतवारों के लिए भी उपयोगी हैं। एक वर्षीय, बहु वर्षीय खरपतवारों का भी नियंत्रण किया जा सकता है। इनका उपयोग बहुत सावधानी के साथ करना चाहिए। इनके अधिक उपयोग से धान में पीलापन आ सकता है। लोकल नामों में जैसे हफवा जैसे खरपतवार को नष्ट किया जा सकता है। रसायनों मात्राएँ ब्रांड्स के आधार पर कम या अधिक हो सकती हैं।
                          सँकरी पत्ती वाले खरपतवारों हेतु रासायनिक खरपतवार नाशक है:-




1. थिओबेनकार्ब (THIOBENCARB) - 1.5 to 2.5kg/hectare
2. पेनोक्ससुलम (PENOXSULAM) - 38ml/acre
3. बिसपायरीबक सोडियम (BISPYRIBAC-SODIUM) - 80-100 ml/acre
4. फेनॉक्सप्रोप-पी-एथिल - 350ml/acre
5. क्विजालोफोप एथिल (Quizalofop Ethyl)- 300-400 ml/acre


            सँकरी पत्ती वाले खरपतवार नाशियों के साथ अच्छी तरह जानकारी प्राप्त करने के बाद ही अन्य रसायनों को मिलावें अन्यथा धान के फसल पर विपरीत प्रभाव डाल सकते हैं।

अंकुरण पूर्व प्रयोग किये जाने वाले खरपतवार नाशी हैं-

1. पैराजोसलफुरान एथिल (Pyrazosulfuron Ethyl) - 150gm/हेक्टेयर
2. पेंडीमेथालिन (PENDIMETHALIN) - 1 kg/हेक्टेयर
3. प्रेटिलाक्लोर (Pretilachlor) - 0.3 kg/हेक्टेयर
4. बुटाक्लोर (Butachlor) - 1.25kg/हेक्टेयर

अंकुरण पूर्व पावडर रूप के रसायनों का प्रयोग बालू मिलाकर करें। तरल रूप के रसायनों को भी बालू मिलाकर उपयोग किया जा सकता है साथ ही स्प्रे भी किया जाता है। इनके प्रयोग करते समय जहां तक संभव ही छिड़काव करते समय पीछे की ओर चलें जिससे ये रसायन खेत मे एक परत का निर्माण अच्छे से कर सकें।
कृषि उपयोग में आने वाले विभिन्न प्रकार के रसायनों को खरीदते समय बहुत ही सावधानी रखना अत्यंत आवश्यक है। सही दवा साहू स्थान का चुनाव न कर पाने से कृषकों को महंगा पड़ सकता है। याद रखिये दवाओं के लिए फार्मूला सही होना आवश्यक है, न कि दवाओं का सस्ता या महंगा होना। इसलिए आपके खेतों के हिसाब से दवा का चुनाव करें, कीमत देखकर नहीं।
                                                                 अंत में किसान भाइयों से निवेदन है कि सही दवा का चुनाव करें, सही कीमत पर खरीदें, अनावश्यक महंगे दवाओं से बचकर लागत कम करें, विश्वसनीय केंद्र से खरीदें। अधिक जानकारी हेतु संपर्क करें। विश्वव्यापी कोरोना महामारी से बचने हेतु आवश्यक सावधानी बरतें। खेत मे पूरे समय साबुन/सैनिटाइजर साथ रखें। खुद मास्क पहनें, मजदूरों को भी पहनाएँ। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
             "सावधानी से खेती करें-सुरक्षित रहें"
           [तकनीकि जानकारी साभार- UC IPM]

                        -: दाता राम नायक
                 ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी
             क्षेत्र:- कुसमरा, विख. व जि.-रायगढ़


मेरे मृत्युंजय

 कर दिया है मैने अपना सारा जीवन तेरे चरणों में अर्पण मुझे किसका लागे डर? अब किसका लागे भय? मेरे मृत्युंजय मेरे मृत्युंजय.... मेरा रास्ता भी ...