मंगलवार, 22 सितंबर 2015

कितने अरमान हम दिल में ले के चले

कितने अरमान हम दिल में ले के चले,
कुछ मिला ना मिला गिले शिकवे मिले।
वो दौर दीवानगी था अब दौरे समझदारी है,
कल तक जितने मिले वो आज कहाँ मिले ?

शुक्रवार, 18 सितंबर 2015

शुभ सावन

शुभ सावन की झड़ी को
खेतों में मौन मरती फसल,
ये वृक्ष जो खड़े अटल,
विचरते हर जीव जल-थल को,
हो विवश प्राणी पल-पल को,
अपलक अकाश को निहार रहे हैं,
शुभ सावन की झड़ी को विचार रहे हैं ।

तपन से हो धरती व्याकुल,
वर्षा-बूंद समेटने को आतुर,
कोख से धान्य उपजाने को,
भूजल भूगर्भ भूस्वामी बचाने को,
भू-भूमिपुत्र ईश को जयकार रहे हैं,
शुभ सावन की झड़ी को विचार रहे हैं ।

हर घड़ी घन घुमड़-घुमड़ कर,
पर्वत माला से टकरा-टकरा कर,
मग्न हो इधर-उधर नाचने को,
कब होगा ईश-आदेश वर्षा आने को ?
जन-जन बरखा को गुहार रहे हैं ।
शुभ सावन की झड़ी को विचार रहे हैं ।

कहीं और मेघ ना भाग जाना,
निष्ठुरता इतनी तुम ना दिखाना,
आनंदित हैं जीव भीगने को,
पौधे बचे हैं अभी सींचने को,
किसान-पौधे झूमकर तुझे पुकार रहे हैं ।
शुभ सावन की झड़ी को विचार रहे हैं ।
                 -: दाता राम नायक
               ग्राम- सुर्री, पोस्ट- तेतला, रायगढ़
   (ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी क्षेत्र - कुसमूरा)
                  


गुरुवार, 17 सितंबर 2015

मैं हिन्दी हूँ

देवभाषा संस्कृत से उपजी हूँ मैं,
सहस्त्र वर्षों से गयी सहेजी हूँ मैं ।
भारत को पढ़ना, दहाड़ना सिखाया,
ज्ञान देना,  इतिहास बनाना सिखाया ।
रस, छंद, अलंकार से परिपूर्ण,
संज्ञा, सर्वनाम, समास से संपूर्ण ।
काव्य, महाकाव्य मैने ही दिया,
निबंध, संस्मरण मैने ही लिखाया ।
गीता, रामायण को मुझसे ही पढ़े,
हर धर्म भारत का मुझसे होकर बढ़े ।
सन् 1000 से मैं चली आयी हूँ,
अब सदी 21वीं में लड़खडाई हूँ ।
पंत, निराला, प्रसाद, महादेवी ने,
भारतेंदु, शुक्ल, द्विवेदी, मुंशी ने ।
मेरा सोलह श्रृंगार किया है,
रहीम, रसखान ने अंगीकार किया है ।
आज मैं परिचय बतायी जाती हूँ,
शिक्षितों से परिहास बन जाती हूँ ।
मैं ही हूँ हर जिह्वा की अभिलाषा,
मैं ही हूँ हर भारतीय की परिभाषा ।
मैं मातृभाषा हूँ, सबकी बंदगी हूँ,
मैं परायी नही तुम्हारी हिंदी हूँ ।
मैं हिंदी हूँ, मैं हिंदी हूँ, मैं हिंदी हूँ.....

           "दाता राम नायक "




मेरे मृत्युंजय

 कर दिया है मैने अपना सारा जीवन तेरे चरणों में अर्पण मुझे किसका लागे डर? अब किसका लागे भय? मेरे मृत्युंजय मेरे मृत्युंजय.... मेरा रास्ता भी ...