बुधवार, 31 जनवरी 2018

सबके ग्रहण टल जाएँगे

सबके ग्रहण टल जाएंगे

जब जब लगता है
गगन में ग्रहण
सारा देश मसगूल हो जाता है
ग्रहण देखने मे,
राशियों पर प्रभाव,
कुप्रभाव नापने में...

कोई इसका इतिहास,
वैज्ञानिक कारण जानने में,
कुछ करते हैं खान-पान,
घर-द्वार देह का जतन,
और कुछ तस्वीरें उतारते,
करते मनन विश्लेषण...

लेकिन कोई नही देखता
ना देखना चाहता है,
माँ भारती पर लगे
भ्रष्टाचार, अपराधों के,
अत्याचारों के पूर्ण ग्रहण को,
दमन नीतियों के अतिक्रमण को...

जिस दिन इस ग्रहण को
सब देखने जानने लग जाएँगे,
पहेलियां सभी सुलझ जाएंगे,
खान-पान, राशियाँ, अनुसंधान,
नक्षत्र सुधर जाएँगे,
सबके ग्रहण टल जाएंगे.........
-: दाता राम नायक DR
RAEO Raigarh




शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

गणतंत्र की यही परिभाषा है......

आज गणतंत्र का जूलुस शान से निकला
गणतंत्र हमारा हमारा 69 का हो चला
संविधान को, कानून को,
तोड़ते मारोड़ते हुए...
संशोधन करते हुए,
जो बहूत सरल, लोचदार है,
अपराधियों के बचने के रास्ते यहाँ हजार है.....

69 वर्षों की अविराम यात्रा में,
संविधान पहुँचा कितने अंदर तक..?
किसानों के खेंतों तक
जंगलों की अंधेरी जीवन तक
या गरीबों के घर तक..?
इनको गणतंत्र से बड़ी आशा है,
किंतु इन्हें नहीं पता गणतंत्र की क्या परिभाषा है.....

पहुँचा है गणतंत्र, देश के कोने-कोने में,
किंतु वह नहीं जो लागू हुआ
26 जनवरी सन पचास में....
लोकतंत्र को जन-जन को,
सशक्त करने की आस में,
आम जनता तारीखों में उलझा है,
कचहरियों के चौखट में पीढ़ियाँ बीता है.….

गणराज्य की जो परिकल्पना हुई थी,
उनको साकार करना है,
निर्बल को सबल, समानाधिकार देना है,
संविधान का ज्ञान, सबको न्याय मिले,
जन शक्ति बने, यह फ़र्ज़ अदा करना है....
लोकतांत्रिक देश की सिर्फ यही अभिलाषा है,
हर जन संविधानविद हो गणतंत्र की यही परिभाषा है.....

     -: दाता राम नायक "डीआर"
    ग्रा.कृ. वि. अधि. कुसमूरा, रायगढ़


सोमवार, 1 जनवरी 2018

रकम रकम के नवा साल मनात हें

नवा साल 2018 के दिन एक कलमकार के कलम हर, समाज के अलग अलग वर्ग के माध्यम ले कुछु संदेशा देय के परयास करत हे। हमन ला सबले पहिली हमर काम ला, हमर देश ला प्राथमिकता देना चाहिये। त पढ़ के बताहा मोर ई कबिता हर किसी लागिस:-

                रकम रकम के नवा साल मनात हें

फेर घुमिस काल के चक्का, अऊ एक चक्कर,
तारिक महीना ओईच, बाढ़िस एक अऊ बछर…
दु हजार हर जिसने बाढ़त हे, आनी बानी के देखे मिलत हे,
कोरी बछर पहिली पतरा, अब रकम रकम के कलेंडर आत हें…
….रकम रकम के नवा साल मनात हें

त संगवारी हो आज जनबो हमन हमर समाज के किसिम किसिम वर्ग के सोच ला की ओमन नवा बछर बर का सोंचथें :-

सैनिक:-
दिन भर के एकटक बुता, चूक के कोई जघा नि ये,
कतक पाहन कोन कति ले चलहि गोली, कोई थहा नि ये,
दिन बार के पता नि रहे, दुश्मन के खोपड़ी उड़ाना रथे,
जोन दिन एको झन निपटाथन, त हमन ला तिहार मनाना रथे….
सुन-सान के बढ़िया लागथे, देश के मन खुशयाली मनात हें,
…..रकम रकम के नवा साल मनात हें ।

किसान:-
नवा साल पूछथा जी, नवा देखे बर नि पात हन,
पेट पाट ला मार के, पेट बर ही कमात खात हन,
जोन दिन बोनी के मुठिया लेथन, ओ दिन ले कमाना रथे,
धान-पान ला बेच-बांच के ही, हमन ला तिहार मनाना रथे…
देख ताक के बढ़िया लागथे, देश के मन जसन मनात हें,
….रकम रकम के नवा साल मनात हें।

नेता:-
नवा साल आगे, वोट लगठिया गे, चुनाव प्लानिंग चलत हे,
पार्टी बाढ़ गे, वोट घट गे, नवा नवा रननिति बनत हे,
जोन दिन परचार सुरु होही, ओ दिन ले जनता ला लुभाना रथे,
गिनती के दिन जीत जाबो, त हमन ला तिहार मनाना रथे….
देख-सुन के बढ़िया लागथे, देश के मन आनंद मनात हें,
…रकम रकम के नवा साल मनात हें।

व्यापारी:-
बड़खा सीसी के गाड़ी बागिर, पेट्रोल अतकी एभरेज नि ये,
धंधा में घोले रूपिया भर के, दु पईसा कमाई नि ये,
मार्च क्लोजिंग के पाछु, बही खाता हिसाब करना रथे,
दु पईसा मुनाफा पाथन, त हमन ला तिहार मनाना रथे…
देखा-देखी ले बढ़िया लागथे, देश के मन उछल मंगल मनात हें,
……रकम रकम के नवा साल मनात हें।

कर्मचारी:-
नवा साल सुने हन लेकिन, बुता काम ले टईम कहाँ,
जिसने जिसने भारत डिजिटल होत हे, फुरसत कहाँ ले पाहाँ,
का सरकारी का प्राइवेट, छुट्टी में भी ड्यूटी करना रथे,
टारगेट वारगेट पूरा होय ले, हमन ला तिहार मनाना रथे…..
देख-जान के बढ़िया लागथे, देश के मन हाँसत गात हें,
 ……रकम रकम के नवा साल मनात हें।

बेरोजगार:-
का दिसंबर का जनवरी, चलत हे जी तियारी,
ऐसों के तिहार ला फेर खा दिस, हाय रे बेरोजगारी,
दिन रात मेहनत करके जी, अगला फारम भरना रथे,
रिजल्ट आय के पाछु ही, हमन ला तिहार मनाना रथे…
सुन-जान के बढ़िया लागथे, देश के मन नाचत गात हें,
……रकम रकम के नवा साल मनात हें।

                  -: दाता राम नायक DR
ग्राम- सुर्री, पोस्ट- तेतला, वि.ख.- पुसौर, जिला- रायगढ़ (छग)
                         7898586099
                         7869586099
                         7000799768

मेरे मृत्युंजय

 कर दिया है मैने अपना सारा जीवन तेरे चरणों में अर्पण मुझे किसका लागे डर? अब किसका लागे भय? मेरे मृत्युंजय मेरे मृत्युंजय.... मेरा रास्ता भी ...