शुक्रवार, 26 जनवरी 2018

गणतंत्र की यही परिभाषा है......

आज गणतंत्र का जूलुस शान से निकला
गणतंत्र हमारा हमारा 69 का हो चला
संविधान को, कानून को,
तोड़ते मारोड़ते हुए...
संशोधन करते हुए,
जो बहूत सरल, लोचदार है,
अपराधियों के बचने के रास्ते यहाँ हजार है.....

69 वर्षों की अविराम यात्रा में,
संविधान पहुँचा कितने अंदर तक..?
किसानों के खेंतों तक
जंगलों की अंधेरी जीवन तक
या गरीबों के घर तक..?
इनको गणतंत्र से बड़ी आशा है,
किंतु इन्हें नहीं पता गणतंत्र की क्या परिभाषा है.....

पहुँचा है गणतंत्र, देश के कोने-कोने में,
किंतु वह नहीं जो लागू हुआ
26 जनवरी सन पचास में....
लोकतंत्र को जन-जन को,
सशक्त करने की आस में,
आम जनता तारीखों में उलझा है,
कचहरियों के चौखट में पीढ़ियाँ बीता है.….

गणराज्य की जो परिकल्पना हुई थी,
उनको साकार करना है,
निर्बल को सबल, समानाधिकार देना है,
संविधान का ज्ञान, सबको न्याय मिले,
जन शक्ति बने, यह फ़र्ज़ अदा करना है....
लोकतांत्रिक देश की सिर्फ यही अभिलाषा है,
हर जन संविधानविद हो गणतंत्र की यही परिभाषा है.....

     -: दाता राम नायक "डीआर"
    ग्रा.कृ. वि. अधि. कुसमूरा, रायगढ़


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