शुक्रवार, 23 मार्च 2018

माँ भारती के क्रांतिवीर

             माँ भारती के क्रांतिवीर

गुलामी से देश के अरमान, जब धरे रह जाते हैं,
क्रांति और कुर्बानी बेटी, सपने माँ की पूरे करते हैं।
माना सत्य अहिंसा दो बेटे, माँ के अनमोल रतन हैं,
मगर पराधीनता के जंजीरों में, अधूरे रह जाते हैं।

क्रूर भूपतियों की क्रूरता से, भूमि भारी हो जाती है,
बच्चे बूढ़े बेसहारे और, बेबस नारी हो जाती है।
पौरुष प्रभाव क्षीण होता, जनता त्राहिमाम पुकारती है,
तब दुःखियारी माता के गर्भ से, बलिदानी जन्मे जाते हैं।
माना……
मगर……

जन-जन की पीड़ा चित में, चिंगारी भड़काती है,
देशप्रेम की  ज्वालामुखी, भरे यौवन में फुट जाती है।
वीरों के खौलते रक्त वेगों से, चारों ओर क्रांति आती है,
तब कुर्बानी के सहारे, स्वतंत्रता की हुँकार भरे जाते हैं।
माना…..
मगर…..

महासमर में लहूँ की बूंदें, धरती का प्रक्षालन करती है,
कटते शीशों से आज़ादी, दुल्हन सी सजती सँवरती है।
रणबांकुरों के लाशों से, चलकर  ही  स्वतंत्रता आती है,
तब घर-घर चौक-चौराहों पर, विजय पताका फहरे जाते हैं।
माना…..
मगर…..

क्रांति-कुर्बानी के घर, बेटों का आना-जाना नहीं होता है,
किन्तु क्रांतिवीरों का लक्ष्य, सत्य-अहिंसा बचाना होता है।
जब वीर सपूत भारती के, वीरमरण को गले लगातें हैं,
तब अहिंसा के पुजारी, सत्ता की वसीयत लेते आते हैं।

माना सत्य अहिंसा दो बेटे, माँ के अनमोल रतन हैं,
मगर पराधीनता के जंजीरों में, अधूरे रह जाते हैं।


Poet:- Data Ram Naik "DR"

            -: दाता राम नायक “DR”

              ग्राम:- सुर्री, तहसील:- पुसौर
            जिला:- रायगढ़(छग) 496100
          7898586099 / 7869586099



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