बुधवार, 8 अप्रैल 2020

हनुमान स्तुति

अंतर मन से नित्य पुकारूं, जय जय जय हनुमंत उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।

अंजन प्रदेश बसे पहारा, सुंदर कानन सब सुख सारा।
पिता केसरी अंजनि माते, पुत्र कामना से शिव ध्याते।
शिव प्रसाद पवन देव लाये, मात पिता हिय से अति भाये।
चैत्र पूर्णिमा मंगलवारा, पावन दिवस रुद्र अवतारा।

जय जय मारुति तुम्हें पुकारूं, जय जय शंकर सुवन उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।

बालक मारुति अद्भुत चंचल, घूम रहे ये जंगल जंगल।
डाल डाल अरु पर्वत शीला, उछल कूद करते हैं लीला।
एक बार देखा रवि उगते, लाल रंग में फल सा लगते।
वायु वेग से दिनकर खाया, देवराज ने वज्र चलाया।

ब्रम्ह शक्ति वर तुम्हें पुकारूं, जय जय जय हनुमान उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।

पाकर शक्ति उधम बरपाया, यज्ञ हवन में बाधा ढ़ाया।
भृगुवंशी ने श्राप दिया था, तब तुमने शक्ति भुलाया था।
मात पिता ने गुरुकुल भेजा, गुरु सूर्य संग मारुति तेजा।
शिक्षा लेकर अद्भुत बालक, हुआ बड़ा महावीर युवक।

शिष्य प्रभाकर तुम्हें पुकारूं, सेना नायक सुग्रीव उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।

राम सुग्रीव मीत कराया, बाली भय से मुक्त कराया।
राम प्रभो के हुए सहायक, सिय समाचार के तुम दायक।
जामवंत ने याद दिलाया, सागर लाँघा लंक जलाया।
अक्षय मारा बाग उजारी, देखा रावण शक्ति तुम्हारी।

जय राम दास तुम्हें पुकारूं, जय सीता सुत तुम्हें उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।

अहि रावण महि रावण मारा, राम लखन के बने सहारा।
नाग फास से मुक्त कराया, संजीवन से लखन बचाया।
लंक विजय के तुम्हीं अधारा, सारा संकट तुमसे हारा।
अवध सुकुमार सकुशल आये, राम भक्त तुम श्रेष्ठ कहाये।

संकट मोचन तुम्हें पुकारूं, जय जय जय बजरंग उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।

राम भक्त प्रभु हे अविनाशी, राम हृदय के हे चिर वासी।
कृपा दास पर इतना करना, अपने चरणन मुझको रखना।
राम नाम को जो हैं भजते, पवन पुत्र को प्रिय हैं लगते।
सत्य वचन कहता है दाता, परम धाम को है वह पाता।

जय जय कपीश तुम्हें पुकारूं, हे राम दूत तुम्हें उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।

रचनाकार:- दाता राम नायक
                7898586099

शनिवार, 4 अप्रैल 2020

आओ दिया जलाते हैं...

विपदा की इस बेला में, एक उम्मीद जगाते हैं,
इन अँधियारी रातों में, आओ दिया जलाते हैं।


जाने किसकी नजर लगी, देखो प्यारी वसुधा को,
छीन गयी खुशियाँ सारी, छीन रही है आभा को।
अभी अभी तो बसंत भी, आया था फूल खिलाने,
कहाँ कहाँ से आ टपकी, पतझरी बैरन न जाने।
लगेगा समय अवश्य ही, दुखों के बीत जाने में,
नव उजास भी आयेगा, चलो हिम्मत बढ़ाते हैं,
इन अँधियारी रातों में, आओ दिया जलाते हैं।

विपदा की इस बेला में, एक उम्मीद जगाते हैं,
इन अँधियारी रातों में, आओ दिया जलाते हैं।


निर्दोषों के क्रंदन से, क्या ये प्रकृति अधीर नही?
तड़पते बच्चों को देख, हो रही उसे पीर नहीं?
नही, अति तो हमने किया, उसने कुछ लौटाया है,
उससे छेड़खानी का एक, परिणाम ही बताया है।
वर्चस्व की लड़ाई में, सदा सभी ने हारा है,
मानव-मानव  प्रेम करें, चलो नव गीत गाते हैं।
इन अँधियारी रातों में, आओ दिया जलाते हैं।


विपदा की इस बेला में, एक उम्मीद जगाते हैं,
इन अँधियारी रातों में, आओ दिया जलाते हैं।

रचनाकार:- दाता राम नायक "DR"
         🚪-  7898586099

गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

जय माता रानी

जग की जननी तम की हरनी, 
जय दुर्ग जया विजया जय हो,
शिवशक्ति शिवा शिवप्रीत उमा, 
शिवदूत सती अजया जयहो,
रजनीचर शुम्भ निशुम्भ क्षयी, 
मधुकैटभ तारि अम्बा जय हो,
महिषासुरमर्दिनि माँ जय हो, 
जयहो विमला, सबला जय हो।

विपदा भव में अति आन पड़ी, 
चहुँओर विनाशक रोग परे,
यह  संकट  जीवन क्षीण  करे, 
मनु हाथ मले बस शीश धरे।
धरती  पर  तू  करुणा कर माँ, 
विनती तुझसे यह दास करे,
सब भक्तन की निज वंदन है, 
जग से विपदा अतिशीघ्र टरे।

रचनाकार:- दाता राम नायक "DR"

जय श्री राम

राम  नाम की जाप से, धुल जाते हैं पाप।
करुणानिधि श्री राम जी, हर लेते संताप।।
जिसने भजा राम चरित, उसका भाग्य अपार।
लोभ  मोह  विरक्त  भये, भव  से  बेड़ा  पार।।

मेरे मृत्युंजय

 कर दिया है मैने अपना सारा जीवन तेरे चरणों में अर्पण मुझे किसका लागे डर? अब किसका लागे भय? मेरे मृत्युंजय मेरे मृत्युंजय.... मेरा रास्ता भी ...