अंतर मन से नित्य पुकारूं, जय जय जय हनुमंत उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
अंजन प्रदेश बसे पहारा, सुंदर कानन सब सुख सारा।
पिता केसरी अंजनि माते, पुत्र कामना से शिव ध्याते।
शिव प्रसाद पवन देव लाये, मात पिता हिय से अति भाये।
चैत्र पूर्णिमा मंगलवारा, पावन दिवस रुद्र अवतारा।
जय जय मारुति तुम्हें पुकारूं, जय जय शंकर सुवन उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
बालक मारुति अद्भुत चंचल, घूम रहे ये जंगल जंगल।
डाल डाल अरु पर्वत शीला, उछल कूद करते हैं लीला।
एक बार देखा रवि उगते, लाल रंग में फल सा लगते।
वायु वेग से दिनकर खाया, देवराज ने वज्र चलाया।
ब्रम्ह शक्ति वर तुम्हें पुकारूं, जय जय जय हनुमान उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
पाकर शक्ति उधम बरपाया, यज्ञ हवन में बाधा ढ़ाया।
भृगुवंशी ने श्राप दिया था, तब तुमने शक्ति भुलाया था।
मात पिता ने गुरुकुल भेजा, गुरु सूर्य संग मारुति तेजा।
शिक्षा लेकर अद्भुत बालक, हुआ बड़ा महावीर युवक।
शिष्य प्रभाकर तुम्हें पुकारूं, सेना नायक सुग्रीव उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
राम सुग्रीव मीत कराया, बाली भय से मुक्त कराया।
राम प्रभो के हुए सहायक, सिय समाचार के तुम दायक।
जामवंत ने याद दिलाया, सागर लाँघा लंक जलाया।
अक्षय मारा बाग उजारी, देखा रावण शक्ति तुम्हारी।
जय राम दास तुम्हें पुकारूं, जय सीता सुत तुम्हें उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
अहि रावण महि रावण मारा, राम लखन के बने सहारा।
नाग फास से मुक्त कराया, संजीवन से लखन बचाया।
लंक विजय के तुम्हीं अधारा, सारा संकट तुमसे हारा।
अवध सुकुमार सकुशल आये, राम भक्त तुम श्रेष्ठ कहाये।
संकट मोचन तुम्हें पुकारूं, जय जय जय बजरंग उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
राम भक्त प्रभु हे अविनाशी, राम हृदय के हे चिर वासी।
कृपा दास पर इतना करना, अपने चरणन मुझको रखना।
राम नाम को जो हैं भजते, पवन पुत्र को प्रिय हैं लगते।
सत्य वचन कहता है दाता, परम धाम को है वह पाता।
जय जय कपीश तुम्हें पुकारूं, हे राम दूत तुम्हें उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
रचनाकार:- दाता राम नायक
7898586099
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
अंजन प्रदेश बसे पहारा, सुंदर कानन सब सुख सारा।
पिता केसरी अंजनि माते, पुत्र कामना से शिव ध्याते।
शिव प्रसाद पवन देव लाये, मात पिता हिय से अति भाये।
चैत्र पूर्णिमा मंगलवारा, पावन दिवस रुद्र अवतारा।
जय जय मारुति तुम्हें पुकारूं, जय जय शंकर सुवन उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
बालक मारुति अद्भुत चंचल, घूम रहे ये जंगल जंगल।
डाल डाल अरु पर्वत शीला, उछल कूद करते हैं लीला।
एक बार देखा रवि उगते, लाल रंग में फल सा लगते।
वायु वेग से दिनकर खाया, देवराज ने वज्र चलाया।
ब्रम्ह शक्ति वर तुम्हें पुकारूं, जय जय जय हनुमान उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
पाकर शक्ति उधम बरपाया, यज्ञ हवन में बाधा ढ़ाया।
भृगुवंशी ने श्राप दिया था, तब तुमने शक्ति भुलाया था।
मात पिता ने गुरुकुल भेजा, गुरु सूर्य संग मारुति तेजा।
शिक्षा लेकर अद्भुत बालक, हुआ बड़ा महावीर युवक।
शिष्य प्रभाकर तुम्हें पुकारूं, सेना नायक सुग्रीव उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
राम सुग्रीव मीत कराया, बाली भय से मुक्त कराया।
राम प्रभो के हुए सहायक, सिय समाचार के तुम दायक।
जामवंत ने याद दिलाया, सागर लाँघा लंक जलाया।
अक्षय मारा बाग उजारी, देखा रावण शक्ति तुम्हारी।
जय राम दास तुम्हें पुकारूं, जय सीता सुत तुम्हें उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
अहि रावण महि रावण मारा, राम लखन के बने सहारा।
नाग फास से मुक्त कराया, संजीवन से लखन बचाया।
लंक विजय के तुम्हीं अधारा, सारा संकट तुमसे हारा।
अवध सुकुमार सकुशल आये, राम भक्त तुम श्रेष्ठ कहाये।
संकट मोचन तुम्हें पुकारूं, जय जय जय बजरंग उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
राम भक्त प्रभु हे अविनाशी, राम हृदय के हे चिर वासी।
कृपा दास पर इतना करना, अपने चरणन मुझको रखना।
राम नाम को जो हैं भजते, पवन पुत्र को प्रिय हैं लगते।
सत्य वचन कहता है दाता, परम धाम को है वह पाता।
जय जय कपीश तुम्हें पुकारूं, हे राम दूत तुम्हें उचारूं।
राम नाम से तुम्हें विचारूं, देह तुम्हारे राम निहारूँ।।
रचनाकार:- दाता राम नायक
7898586099
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