संगवारी हो, ऐसों हमन सब्बो अपन-अपन के ठऊर-ठिकाना के आधार मं गाँव सरकार अऊ नगर सरकार चुनेन। सब्बो जानत हव चुनई के बखत मं कइसे माहौल रथे; चुनाव आचार संहिता लगय के पहिली अऊ चुनाव परिणाम के पाछु के माहौल ल संक्षिप्त लईन मं लिखे के परयास करे हव, पढ़ के कइसे लागिस कमेन्ट करके जरुर बताहू:-
***चुनई आचार संहिता के पहिली***
एसो के चुनई कका, निपटहि कइसे जान ।
कुकुर घलों पूछे नही, अहु पाही गा मान ।१।
चलहि लहर अब बोट के, राज मं जोर दार।
सुकमा ले कोरिया, कस के ठप्पा मार।२।
पांच बछर के पाछु मं, मउका आइस फेर।
खींच तान के संग मं, लोभ के लगहि ढ़ेर।३।
गरिभा रहे कि गौटियां, सब्बो ऑफर पांय।
अनपढ़ घलो पढ़े लिखे, ऑफर ना ठुकरांय।४।
पांचों बछर बिकास बर, जोन जोन नरियांय।
दु गुरिया नि पाहिं कका, त बोट देय नि जांय।५।
माया अपरंपार हे, माया जाल चुनाव।
बांचें नि सकय कोन्हु घर, शहर होय या गांव।६।
कोन समझहि देख कका, मोर लिखे हे गीत।
बिकास अउ इ बिसोय मं, काकर होही जीत।७।
सोच समझ के ही दिहा, अपन अपन के बोट।
नि लिहा संगी हो बोट बर, कुकरी दारू नोट।८।
***चुनई आचार संहिता के पाछु***
एसो के चुनई कका, निपटिस कइसे जान ।
साम दाम अउ भेद के, छुटिस धनुष ले बान ।१।
आनी बानी के दिखिस, नेता मन के रंग ।
गोठ बात रेंगे फिरे, सबके बदलिस ढंग ।२।
मान गोन कस के करिन, करिन सबो जोहार ।
भइदा फलना छाप मं, देबे ठप्पा मार ।३।
संगी इ कली काल मं, कतक मान के दाम ।
गड्ढा पाटे बोट के, दाम करिस बड़ काम ।४।
सब्बो अन फेंकाय हे, दोन्नों हाथ रपोट ।
आंखि कान मुंदाय गिस, पानी परगे बोट !५!
सब परतासी मन थहिन, एक दुसर के भेद ।
अब्बड़ परयास ले करिन, बोट बैंक मं छेद ।६।
जीत हार तिरिया कका, करि थोरकुन विचार ।
बिक गिस जेकर बोट गा, तेकर तन बेकार ।७।
पंच सरपंच संग मं, चुन लेन महापौर ।
देवत हव शुभ कामना, लानव नावा दौर ।८।
-: दाता राम नायक "DR"
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