मंज़िल कितना भी दूर हो क्यो ना, हम तो परवाज़ करते हैं ।
ताज ना मिले कोई गिला नही, हम तो दिलों पे राज करते हैं ।
Full part of this poem........COMING SOON
-: दाता राम नायक " डीआर "
प्रिय पाठकों, इस ब्लॉग में आपका आत्मीय अभिनंदन है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाएं मेरी स्वरचित साहित्य साधना हैं। मेरी रचनाओं के प्रति आपका प्रेम मुझे सदैव प्रेरित करता है।
कर दिया है मैने अपना सारा जीवन तेरे चरणों में अर्पण मुझे किसका लागे डर? अब किसका लागे भय? मेरे मृत्युंजय मेरे मृत्युंजय.... मेरा रास्ता भी ...
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